डॉ. मिश्रा के मुख्य यजमान बनने से गौरवान्वित हुई होम्योपैथिक चिकित्सा

इंदौर। अयोध्या में भव्य श्री रामलला मंदिर के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं। मुख्य आयोजन 22 जनवरी को होगा। इसके मुख्य यजमान सेवानिवृत्त होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल मिश्रा जी हैं। लगभग 500 साल बाद आई इस मंगल बेला हेतु 140 करोड़ भारतीयों में से डॉ. मिश्रा का चयन मुख्य यजमान के रूप में होना, न केवल होम्योपैथी बल्कि समग्र आयुष चिकित्सा के लिए अभूतपूर्व गौरव के क्षण हैं।

ये बात भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने कही। डॉ. मिश्रा को हार्दिक बधाई प्रेषित करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम ने असीम कृपा कर कलियुग के अपने इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य में आपकी सेवायें लेकर समूचे होम्योपैथिक सहित आयुष चिकित्सा समूह को कृतार्थ कर दिया है। परम प्रभु ने ये संकेत भी दे दिया है कि अब देश-दुनिया में परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।

भारत में होम्योपैथी का भविष्य उज्ज्वल
डॉ. द्विवेदी ने कहा कि होम्योपैथी का जन्म बेशक जर्मनी में हुआ है लेकिन इसका भविष्य भारत में ही सबसे अधिक उज्ज्वल है। इसकी बानगी कोरोना काल के दौरान ही मिल गई थी, जब इस चिकित्सा पद्धति को विशेषज्ञों और आम लोगों द्वारा वृहद स्तर पर स्वीकार्यता मिली थी। अब सदियों बाद बने मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के समारोह में होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. मिश्रा के मुख्य यजमान बनने से, होम्योपैथी समेत संपूर्ण आयुष जगत की प्रसन्नता, उत्साह और ऊर्जा द्विगुणित हो गई है।

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